Lingashtakam: लिंगाष्टकम् ब्रह्मा मुरारी सदा शिवलिंगम | Lingashtakam PDF in Hindi | Lingashtakam Mantra Satotram

लिंगाष्टकम् ब्रह्मा मुरारी सदा शिवलिंगम | Lingashtakam PDF in Hindi | Lingashtakam Mantra Satotram;

By :  Admin
Update: 2025-02-26 09:26 GMT

लिंगाष्टकम् – Lingashtakam


ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिंगं निर्मलभासितशोभित लिंगम् ।

जन्मजदु:खविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥१॥


देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम् ।

रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥२॥

सर्वसुगंधिसुलेपितलिंगं बुद्धिविवर्धनकारणलिंगम् ।

सिद्धसुरासुरवंदितलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥३॥


कनकमहामणिभूषितलिंगं फणिपतिवेष्टितशोभितलिंगम् ।

दक्षसुयज्ञविनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥४॥


कुंकुमचंदनलेपितलिंगं पंकजहारसुशोभितलिंगम् ।

संचितपापविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥५॥


देवगाणार्चितसेवितलिंगं भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥६॥


अष्टदलोपरिवेष्ठित लिंगं सर्वसमुद्भवकारणलिंगम् ।

अष्टदरिद्रविनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥७॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिंगं सुरवनपुष्पसदार्चितलिंगम् ।

परात्परं परमात्मकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥८॥

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥९॥


इति श्रीलिंगाष्टकस्तोत्रं संपूर्णम् ॥


  



 

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