PM Kisan Yojana : बड़ी खबर ! किसानों के लिए सरकार की शानदार योजना, फसल नुकसान पर मिलेगा आर्थिक मदद.

PM Fasal Bima Yojana : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को 2016 में शुरू किया गया था. इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ पूर्व बुवाई से लेकर कटाई के बाद के नुकसान तक व्यापक फसल बीमा कवरेज प्रदान करना है.

 

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : सरकार की ओर से किसानों को कई लाभ प्रदान किए जाते हैं. इन लाभों में आर्थिक मदद भी शामिल है. इस क्रम में सरकार की ओर से किसानों के लिए कई स्कीम भी चलाई जा रही है. इन योजनाओं में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को 2016 में शुरू किया गया था. इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ पूर्व बुवाई से लेकर कटाई के बाद के नुकसान तक व्यापक फसल बीमा कवरेज प्रदान करना है.

किसान स्कीम :

इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में स्थायी उत्पादन का समर्थन करना है. इसके जरिए अप्रत्याशित घटनाओं से उत्पन्न फसल हानि/क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, खेती में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आय को स्थिर करना, किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना शामिल है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :

सरकार के मुताबिक ये योजनाएं किसानों को उत्पादन जोखिम से बचाने के अलावा खाद्य सुरक्षा, फसल विविधीकरण और कृषि क्षेत्र के विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में योगदान देंगी. ये योजनाएं किसानों के लिए खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत, रबी फसल के लिए 1.5 प्रतिशत और वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत की बेहद कम प्रीमियम दरों पर किसानों के लिए उपलब्ध एकमात्र जोखिम शमन उपकरण हैं.

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फसल बीमा योजना :

पीआईबी का कहना है कि बीमांकिक प्रीमियम का संतुलन केंद्र और राज्य सरकारों के जरिए 50:50 के अनुपात के आधार पर साझा किया जाता है. योजनाएं राज्यों के लिए स्वैच्छिक हैं और उन क्षेत्रों और फसलों में उपलब्ध हैं जिन्हें राज्य सरकारों के जरिए अधिसूचित किया गया है. इसके अलावा योजनाएं कर्जदार किसानों के लिए अनिवार्य हैं और गैर-कर्जदार किसानों के लिए स्वैच्छिक हैं.