बिहार के किसी भी पैक्स में परिवार का एक ही व्यक्ति सदस्य हो सकता है। अब तक एक ही परिवार के कई लोग सदस्य बन जाते थे। सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने सहकारिता विभाग को कई अहम निर्देश दिए। कोर्ट ने सहकारिता विभाग को पैक्स सदस्य बनाने के नियम का सख्ती से पालन करने को कहा है।
कोर्ट में मौजूद विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी को इस बारे में जल्द नीति निर्धारण करने के आदेश दिए गए। साथ ही कोर्ट ने पैक्स की वोटर लिस्ट में सुधार करने के बारे में दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। इसके अलावा जिलास्तर के अधिकारियों के कामकाज पर नजर रखने के भी निर्देश दिए गए। न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने उमेश कुमार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की।
मामले पर सुनवाई के दौरान सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी सहित सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव बी. राजेन्द्र, वैशाली के डीएम, डीजी विजलेंस आलोक राज, वैशाली के जिला सहकारिता पदाधिकारी, गोरौल के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी और बीडीओ कोर्ट में उपस्थित थे। आवेदक के वकील एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि वैशाली के पीरापुर मथुरा पैक्स में सदस्य बनने के लिए 392 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। कुछ आवेदनों को यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि आवेदक का हस्ताक्षर नहीं है।
वहीं कुछ के आवेदन पर दो सदस्यों की अनुशंसा नहीं है। उनका कहना था कि बाद में बगैर किसी को बताए सभी को सदस्य बना दिया गया। फिर उन सभी का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया और पैक्स का चुनाव करवा लिया गया। आवेदक की ओर से पेश दलील पर कोर्ट ने जब अधिकारियों से सदस्य बनाए जाने के बारे में जवाब तलब किया तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने जिला सहकारिता पदाधिकारी से सवाल किया तो वह एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके। इसके बाद कोर्ट ने डीजी विजलेंस को सबसे पहले जिला सहकारिता पदाधिकारी के बारे में जांच करने का निर्देश दिया।
इस पर अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने उनका बचाव करते हुए कहा कि कोर्ट की ओर से पूछे गये सवाल को ठीक से नहीं समझने के कारण सही जवाब नहीं दे सकें। उन्होंने कोर्ट से माफी मांगी। कोर्ट में उपस्थित सहकारिता विभाग की सचिव ने कोर्ट को बताया कि विभाग अपने स्तर से सदस्य बनाये जाने को लेकर जल्द नीति निर्धारण करेगा। साथ ही मतदाताओं को चिह्नित करने के बारे में भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
प्रदेश में सहकारिता कानून का पालन नहीं किया जा रहा
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में सहकारिता कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। पैक्स में एक ही परिवार के कई व्यक्तियों को सदस्य बनाया जा रहा है। कोर्ट ने विभाग को दो माह के भीतर नीति निर्धारण करने तथा दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। साथ ही विभाग को अधिकारियों के बारे में आंतरिक जांच कर जिम्मेवारी तय करने तथा कानूनी कार्रवाई करने को कहा। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चार सप्ताह के भीतर पीरापुर मथुरा पैक्स का नये सिरे से चुनाव कराने के बारे में कार्रवाई करने का भी आदेश दिया।