Mukhyamantri Krishi Vaniki Yojana : बिहार सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है. बिहार सरकार कृषि वानिकी योजना के तहत बिहार के किसानों को खेतों में फसल के साथ साथ पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर रही है. वन विभाग इस योजना के जरिए किसानों को बीज और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता है.
Mukhyamantri Krishi Vaniki Yojana : देश के किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है. इसी क्रम में नितीश सरकार बिहार में पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य में कृषि वानिकी योजना का क्रियान्वयन कर रही है। इस योजना के तहत वन विभाग खेत में फसल के अनुकूल पौधों के बीज उपलब्ध करवाता है और 10 रूपये प्रति पौध उपलब्ध कराया जाता है। 3 वर्ष बाद कम से कम 50 फीसदी पौधों के संरक्षण पर प्रति पौध 60 रूपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चलाई गयी इस योजना को अब पूरे बिहार में लागू कर दिया गया है।
क्या है कृषि वानिकी योजना ?
हरियालीमिशन के तहत राज्य में हरित क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने यह योजना वर्ष 2013-14 में शुरू की थी। राज्य में हरित क्षेत्र को बढ़ाकर 15 फीसदी करने की योजना थी। पर्यावरण एवं वन विभाग इसके तहत किसानों को मुफ्त में पौधे देता है। ये पौधे बरसात के मौसम में खेत, बागान और मेढ़ पर लगाए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति का सुदृढ़ीकरण और हरियाली को बढ़ावा देना है। इसका दूसरा आर्थिक पक्ष यह है कि वन आधारित उद्योग के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवा कर राज्य के औद्योगिकरण को बढ़ावा देना भी है।
योजना का उद्देश्य :
बिहार सरकार की इस योजना का उद्देश्य बिहार के किसानों की आय को बढ़ाना है और साथ ही साथ पर्यावरण के संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देना है। योजना के तहत कृषि योग्य जमीन पर फसल के अनुकूल पेड़ लगाने पर जोर दिया गया है जिससे फसल को भी कोई नुकसान न हो।
पात्रता की शर्तें :
इस योजना का लाभ बिहार केसभी किसान ले सकते हैं। जिन किसानों के पास भूमि कम हो उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलता है। फसल खराब होने की स्थिति में पेड़ों से आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है। इसके लिए किसान को कम से कम 25 पौध खरीदने होंगे। पौध खरीदने की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं की गयी है।
देखभाल के लिए भी राशि :
पौधरोपण के साथ ही पौधे की देखभाल के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी दी जाती है। साथ ही पौधे की सही देखभाल करने और सुरक्षित रखने के लिए प्रथम वर्ष 10 रुपए, दूसरे वर्ष 10 रुपए और तीसरे वर्ष 15 रुपए प्रति पौधा प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके साथ ही पौधे सरकार मुफ्त में मुहैया करवाती है।
प्रति पेड़ 60 रुपये का अनुदान :
मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना से जुड़ने वाले किसानों को सरकार की ओर से स्थानीय पौधशाला से पापलर के पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके साथ ही इसकी देखरेख की व्यवस्था के लिए भी अनुदान उपलब्ध कराए जाते हैं। जब यह पौधा पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है तो इसका लाभ संबंधित किसान काे ही मिलता है। इस तरह से सरकार का दोनों लक्ष्य पूरा हो जाता है। वन विभाग की ओर से खरीदे गए पौधे में से 50 फीसद को तीन साल तक संरक्षित रखने पर सरकार की ओर से प्रति पेड़ 60 रुपये का अनुदान दिया जाता है। यह व्यवस्था तीन साल के लिए होती है। इतना ही नहीं पर्यावरण एवं वन विभाग की ओर से किसानों को पापलर के कटिंग की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है।
योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता :
मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक के नाम अपनी जमीन होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो कम से कम तीन साल के लिए उसके पास लीज होनी चाहिए। यह जमीन समतल व जलजमाव से मुक्त होना चाहिए। सिंचाई की सुविधा भी होनी चाहिए। योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करते समय किसानों को भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र, अपडेट लगान रसीद या लीज डीड की फोटो कॉपी तथा बैंक पास बुक का विवरण देना होता है।
मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना के लिए जरुरी दस्तावेज :
- भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र
- लीज डीड की फोटोकॉपी
- अपडेट की गयी लगान की रसीद
- 20 हजार रूपए की बैंक में जमा होने का प्रमाण बैंक पास बुक विवरण.
मुख्यमंत्री कृषि वानिकी योजना में आवेदन कैसे करें :
आवेदन की प्रक्रियाऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों है। कृषि वानिकी को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए पर्यावरण एवं वन विभाग ने ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था की है। इच्छुक किसान वन विभाग के वेबसाइट पर जाकर कुछ जरूरी दस्तावेज को अपलोड कर आवेदन किया जा सकता है। इसे किसान खुद या किसी की मदद से पर्यावरण व वन विभाग की वेबसाइट forestonline.bih.nic.in के माध्यम से सभी निर्देश का पालन करते हुए कर सकते हैं। इसका फायदा किसानों और आम लोगों को यह होगा कि पौधे के लिए उन्हें विभाग के दफ्तरों का चक्कर नहीं लगाना होगा। जरूरी दस्तावेज में जमीन की मिल्कियत को लेकर शपथपत्र को भी विभाग स्वीकार करेगा। पूर्ण रूप से भरे हुए आवेदन विभाग कार्यालय में जमा करके योजना का लाभ उठाया जा सकता है। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 दिसंबर 2022 है।