हमारे देश में कई ऐसी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं जिनमें बदलाव की जरूरत है। इनमें से एक है समाज में अंतरजातीय विवाह . हम लोग भले ही 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन आज भी हमारे देश में अधिकांश लोगों अपनी ही जाति और धर्म में शादी करना पसंद करते हैं। हालांकि अब इस सोच में कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहा है और कई सरकारें भी लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। बात करें बिहार की तो यहां पर भी सरकार ने इसको लेकर अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना और मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना बनाई है.चलिए बताते हैं आपको क्या ये योजनाएं …
बिहार अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से अंतरजातीय विवाह के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस लेख में हम आपको इस योजना से जुड़े सभी पहलू और उससे जुड़ी पात्रताओं के बारे में बताएंगे।
इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए लाभार्थी को 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर रसीद के साथ जमा करनी होगी जिसके बाद उसके खाते में 1.5 लाख रुपये भेजे जाएंगे। बाकी के एक लाख रुपये 3 साल के लिए एफडी कर दी जाएगी। 3 साल बाद विवाहित जोड़े को फिक्स्ड डिपॉजिट राशि और उस राशि पर मिले ब्याज समेत जोड़े को दिया जाएगा।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देना है। ताकि समाज में पिछड़े वर्गों को समाज में ऊपर उठाया जा सके। बिहार अंतर्जातीय विवाह योजना का लाभ तभी मिलेगा जब पति या पत्नी में से एक पिछड़ी जाति से हो और दूसरा गैर-पिछड़ी जाति से हो।
बिहार अंतर्जातीय विवाह योजना का लाभ :
बिहार अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत कुल 2.5 लाख प्रदान किए जाएंगे।
10 रुपये का गैर-न्यायिक स्टांप पेपर जमा करने पर 1.5 लाख रुपये दिए जाएंगे।
बाकी के 100000 रुपये को 3 साल के लिए सावधि जमा के रूप में रखा जाएगा।
100000 रुपये की राशि लाभार्थी को 3 साल बाद ब्याज समेत मिलेगी।
पैसा आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से लाभार्थी के अकाउंट में ट्रांसफर होगा।
इस योजना का लाभ पाने के लिए पति-पत्नी का ज्वाइंट अकाउंट होना जरूरी है।
यह योजना वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए पायलट योजना के रूप में शुरू की गई थी।