आचार्य परीक्षित के अनुसार, जिन्होंने पंचांग का गहन अध्ययन कर महाशिवरात्रि का जल कब का है इस पर तिथि की गणना की है,
महाशिवरात्रि का जल फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को प्रातः 11:08 बजे से आरंभ होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को प्रातः 8:54 बजे पर होगा।
शास्त्रों के अनुसार, शिवरात्रि हर माह आती है, परंतु महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार मनाई जाती है।
जब सूर्य कुम्भ राशि में स्थित होता है और चंद्रमा त्रयोदशी तिथि पर शनि की राशि में प्रवेश करता है, तब महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
सूर्य (आत्मा का प्रतीक) और शनि (त्याग एवं संन्यास का प्रतीक) का योग, इस दिन को विशेष बनाता है।
चंद्रमा, जो मन का प्रतीक है, जब शनि की राशि में स्थित होता है, तब यह समय आत्म-चिंतन और शिव भक्ति के लिए सर्वोत्तम होता है।
✅ इस दिन मंदिरों में जलाभिषेक एवं शिव पूजन किया जाता है।
वसंत पंचमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का सगाई या कह सकतें हैं तिलक हुआ था। और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी - चतुर्दशी को महादेव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।
✅ भक्त बेलपत्र अर्पित करते हैं, जिससे समस्त कष्टों से मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यही कारण है कि महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की स्मृति का पर्व है।