आज 03 सिंतबर दिन शनिवार को संतान सप्तमी व्रत (Santan Saptami) है. आज सप्तमी तिथि दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है. इसका प्रारंभ कल दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर हुआ था. हर साल भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को संतान सप्तमी रखा जाता है. माता और पिता अपनी संतान के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, इसलिए वे उनके कुशल-मंगल के लिए व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. संतान सप्तमी व्रत भी संतान के सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए ही रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती से बच्चों की सुरक्षा, खुशहाली और उत्तम सेहत के लिए प्रार्थना की जाती है. संतान सप्तमी व्रत और पूजा विधि के बारे में.
संतान सप्तमी पूजा मुहूर्त 2022
सुबह पूजा का समयः 07 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
दोपहर पूजा का समयः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक
दोपहर से शाम तक पूजा का समयः 01 बजकर 55 मिनट से शाम 05 बजकर 05 मिनट तक
संतान सप्तमी व्रत और पूजा विधि
1. संतान सप्तमी व्रत के दिन प्रातःकाल में स्नान के बाद साफ कपड़े पहन लें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद जल, अक्षत् औश्र फूल लेकर संतान सप्तमी व्रत और पूजा का संकल्प करें.
2. इसके बाद आप शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर पीला या लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती को स्थापित करें. या शिव परिवार के तस्वीर को स्थापित करें.
3. चौकी के पास ही कलश स्थापना करें. उसे जल, अक्षत्, आम के पत्ते आदि से भर दें और चौकी के पास रख दें. अब शिव परिवार की पूजा करें. सबसे पहले गणेश जी को अक्षत्, चंदन, दूर्वा, फूल आदि अर्पित करें. फिर शिव जी को बेलपत्र, अक्षत्, फूल, चंदन, शक्कर आदि चढ़ाएं. इसके बाद माता पार्वती को लाल फूल, अक्षत्, सिंदूर, फल आदि अर्पित करें. उसके बाद भगवान कार्तिकेय की अक्षत्, फूल, चंदन आदि से पूजा करें. माता पार्वती और शिव जी को 7 पुए और कलावा चढ़ाएं.
4. अब आप शिव परिवार को धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाएं. शिव चालीसा, पार्वती चालीसा का पाठ करें. संतान सप्तमी व्रत कथा सुनें. उसके बाद शिव परिवार की आरती से पूजा का समापन करें. इसके बाद चढ़ाएं गए कलावे यानि रक्षासूत्र में से कुछ हिस्सा अपनी संतान को बांध दें.
5. अब माता पार्वती और भगवान शिव से अपनी संतान के सुखी जीवन की प्रार्थना करें. यदि संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा है तो अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. 7 पुए में से स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें और बच्चों को भी दें.
6. अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद दान-दक्षिणा दें और पारण करके व्रत को पूरा करें.