निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत 10 जून दिन शुक्रवार को है. यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस व्रत को महाबली भीम ने भी किया था, इस वजह से इसे भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) भी कहते हैं. यह व्रत ज्येष्ठ माह में है, इस माह में जल की पूजा की जाती है. इस समय सूर्य देव के अत्यधिक प्रकाशवान होने से गर्मी अधिक पड़ती है. इस वजह से सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए जल का दान और रविवार का व्रत रखा जाता है. ज्येष्ठ माह में दो बड़े व्रत गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी होते हैं, जो जल की महत्ता को बताते हैं.
निर्जला एकादशी 2022
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि: 10 जून को सुबह 07:25 बजे से लेकर 11 जून को सुबह 05:45 बजे तक
व्रत का पारण: 11 जून को दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:32 बजे के बीच
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
1. पूरे वर्ष में 24 या 25 एकादशी व्रत होते हैं. इनमें से निर्जला एकादशी व्रत सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है.
2. भीम अपनी अतृप्त भूख के कारण कभी व्रत नहीं रखते थे क्योंकि वे एक समय भी बिना खाए नहीं रह सकते थे. तब वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा.
3. निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. जीवात्मा को ले जाने के लिए पुष्पक विमान आता है.
4. निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक रखने से सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से विष्णु लोक प्राप्त होता है. वह मोक्ष का अधिकारी बनता है.
इसलिए करें निर्जला एकादशी व्रत
यदि आप पूरे वर्ष कोई व्रत नहीं रख पाते हैं तो आपको निर्जला एकादशी व्रत रखना चाहिए. यह आपको मोक्ष प्रदान करेगी और पाप रहित बनाएगी. इसको करने से कष्ट और दुख तो दूर होगा ही, मृत्यु के बाद जीवात्मा को नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ेंगे.