Masik Shivratri 2023: माघ माह की मासिक शिवरात्रि आज 20 जनवरी दिन शुक्रवार को है. आज व्रत रखने और शिव पूजा करने का विशेष महत्व है. आज के दिन भद्रा भी लगी है. हालांकि इसका निवास पाताल में है. धार्मिक मान्यताआं के अनुसार पाताल की भद्रा का दुष्प्रभाव मृत्यु लोक यानि पृथ्वी पर नहीं पड़ता है. भद्रा काल में पूजा पाठ पर भी कोई रोक नहीं होता है. इसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव से जानते हैं माघ मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में.
माघ मासिक शिवरात्रि 2023 मुहूर्त
माघ कृष्ण चतुर्दशी तिथि की शुरूआत: आज, सुबह 09:59 बजे से
माघ कृष्ण चतुर्दशी तिथि की समाप्ति: कल, सुबह 06:17 बजे पर
शिव जी के निशिता पूजा का मुहूर्त: आज, रात 12:05 बजे से देर रात 12:59 बजे तक
पाताल की भद्रा: आज, सुबह 09:59 बजे से रात 08:10 बजे तक.
राहुकाल: सुबह 11:13 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक
मासिक शिवरात्रि 2023 चौघड़िया मुहूर्त
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 07:14 बजे से सुबह 08:34 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: सुबह 11:13 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 12:32 बजे से दोपहर 01:51 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 01:51 बजे से दोपहर 03:11 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: शाम 04:30 बजे से शाम 05:49 बजे तक
जो लोग दिन में मासिक शिवरात्रि की पूजा करना चाहते हैं, वे आज दिन के चौघड़िया मुहूर्त को ध्यान में रखकर पूजा कर सकते हैं.
मासिक शिवरात्रि व्रत और पूजा विधि
1. आज सुबह स्नान करके आप माघ मासिक शिवरात्रि व्रत और भगवान भोलेनाथ की पूजा विधिपूर्वक करने का संकल्प करें.
2. इसके बाद आप दिन में जो समय आपको ठीक लगे, उस समय में भगवान आशुतोष जी की पूजा करें. सबसे पहले शिवजी का जल और दूध से अभिषेक करें. उसके बाद शिवलिंग को वस्त्र से पोछ लें. फिर उनका श्रृंगार करें.
3. शिवजी को चंदन, फूल, माला, बेलपत्र, भांग, धतुरा, अक्षत्, जनेऊ, शहद, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. उसके बाद आप शिव चालीसा, शिव रक्षा स्तोत्र, मासिक शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें.
4. पूजा के समय आप शिव मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. सबसे सरल और प्रभावी शिव मंत्र ओम नम: शिवाय है. इसका रुद्राक्ष की माला से जाप कर सकते हैं.
5. इसके बाद शिव परिवार का घी के दीपक से आरती करें. दिनभर फलाहार पर रहें. संध्या आरती करें. रात्रि में जागरण करें. मंत्रों की सिद्धि के लिए निशिता काल में शिव आराधना करें.
6. अगली सुबह स्नान, ध्यान, पूजा पाठ से निवृत होकर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें. पारण करने से ही व्रत पूर्ण होता है.