Chaitra Navratri 2022: आज चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि या बसंत नवरात्रि शुरु होती है. कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं. इनको माता पार्वती, वृषारुढ़ा आदि नाम से भी जानते हैं. माता सती के आत्मदाह के बाद उनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर कन्या के रुप में हुआ, फिर उनका विवाह भगवान शिव से हुआ. मां शैलपुत्री गौर वर्ण वाली, श्वेत वस्त्र, बैल पर सवार, हाथों में कमल और त्रिशूल धारण करती हैं. उनकी पूजा करने से व्यक्ति को साहस, भय से मुक्ति, फैसलों पर अडिग रहने, कार्य में सफलता, यश, कीर्ति एवं ज्ञान प्राप्त होता है. विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी मां शैलपुत्री की पूजा करती हैं. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi), मंत्र एवं आरती (Maa Shailputri Ki Aarti) के बारे में.
मां शैलपुत्री पूजा मुहूर्त
सुबह 06 बजकर 10 मिनट से प्रात: 08 बजकर 31 मिनट तक
देवी शैलपुत्री पूजा का मंत्र
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
देवी शैलपुत्री बीज मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:
देवी शैलपुत्री का प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
नवरात्रि कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री को अक्षत्, धूप, दीप, गंध, सफेद फूल, फल, सफेद मिठाई या दूध से बने पकवान, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, लौंग आदि अर्पित करते हुए पूजा करते हैं. इस दौरान मां शैलपुत्री के पूजा एवं प्रार्थना मंत्र को पढ़ सकते हैं. इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा को पढ़ें. फिर घी का एक दीपक जलाएं और मां शैलपुत्री की आरती विधिपूर्वक करें.
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।