Karwa Chauth 2022 : जानें मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और चंद्रोदय समय आज है अखंड सौभाग्य का करवा चौथ व्रत.

Karwa Chauth 2022 Puja Vidhi: आज अखंड सौभाग्य का करवा चौथ व्रत है. आज सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत हैं. जिन युवतियों का विवाह तय हो गया है, वे भी आज करवा चौथ का व्रत अपने होने वाले जीवनसाथी के लिए रखी होंगी. इस व्रत में माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है. रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देकर के व्रत को पूरा किया जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं करवा चौथ व्रत के मुहूर्त, पूजा ​विधि, मंत्र और चंद्रोदय समय के बारे में.

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करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारंभ: आज 13 अक्टूबर, तड़के 01:59 एएम से

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कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समापन: कल, 14 अक्टूबर, शुक्रवार, तड़के 03:05 एएम पर

पूजा का शुभ समय: आज शाम 05:54 बजे से शाम 07:09 बजे तक

सिद्धि योग: आज सुबह से लेकर दोपहर 01:55 बजे तक

रोहिणी नक्षत्र: आज शाम 06:41 बजे से कल शाम तक

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करवा चौथ पर चंद्रोदय समय
आज रात 08 बजकर 09 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा. स्थान के आधार पर चंद्रोदय समय में अंतर हो सकता है.

गणेश पूजन मंत्र

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गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥

या

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

मां पार्वती का पूजन मंत्र
देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परम् सुखम्।
सन्तान देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।।

शिव पूजा मंत्र
ओम नम: शिवाय

चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

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करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

1. आज सूर्योदय पूर्व सरगी खाने के बाद करवा चौथ व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है. उसके बाद निर्जला व्रत प्रारंभ होता है. इसमें जल और अन्न ग्रहण नहीं करते हैं.

2. पूजा के शुभ समय में व्रती सोलह श्रृंगार करके पूजन के लिए एकत्र होती हैं. पूजा स्थान पर पीली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाते हैं या फिर उनकी तस्वीर को स्थापित करते हैं.

3. इसके बाद सबसे पहले गणेश जी का पूजन होता है. उनको फूल, अक्षत्, नैवेद्य, पान, सुपारी, दूर्वा, सिंदूर, चंदन, धूप, दीप, गंध, मोदक आदि अर्पित करते हैं.

4. फिर शिव जी को चंदन, अक्षत्, बेलपत्र, धूप, दीप, गंध, शक्कर, गंगाजल, शहद, मिठाई आदि अर्पित करते हुए पूजन करते हैं.

5. इसके पश्चात माता पार्वती की पूजा करते हैं. उनको लाल फूल, सिंदूर, अक्षत्, रोली, कुमकुम, सोलह श्रृंगार का सामान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाते हैं. पूजा में 8 पूरियों की अठावरी, करवा आदि का उपयोग करते हैं.

6. पूजन के बाद करवा चौथ व्रत कथा पढ़ते या सुनते हैं. उसके बाद गणेश जी, शिव जी और माता पार्वती की आरती करते हैं. मां पार्वती से अखंड सुहाग के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. फिर सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और उनको सुहाग सामग्री भेंट करते हैं.

7. रात के समय में जब चंद्रमा का उदय होता है तो चंद्र देव की पूजन करते हैं. उनको जल में दूध, अक्षत् और शक्कर डालकर अर्घ्य देते हैं. फिर छलनी से पति और चांद को देखते हैं. पति पानी और मिठाई खिलाकर व्रत का पारण कराते हैं.

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