Janmashtami Puja Muhurat : इस समय पूजा बेहद शुभ फलदायी होगा जन्माष्टमी पूजा के लिए 44 मिनट बेहद खास.

Janmashtami 2022 Puja Muhurat

जन्माष्टमी का व्रत हर साल भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस साल भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि 19 अगस्त 2022 को है। देशभर में आज जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हालांकि, कई लोगों ने जन्माष्टमी व्रत 18 अगस्त को भी रखा था। दरअसल, 18 अगस्त की रात से अष्टमी तिथि का आरंभ हो रहा था। आज यानी 19 अगस्त को अष्टमी तिथि पूरे दिन रहने वाली है। इसलिए आज जन्माष्टमी का व्रत रखना उत्तम है। दरअसल जन्माष्टमी पर तिथियों का ऐसा संयोग बना है कि दो दिन अष्टमी तिथि लग रही है। 18 अगस्त को रात में 9 बजकर 21 मिनट से अष्टमी तिथि लगेगी और 19 अगस्त 2022 को सुबह से ही अष्टमी तिथि रहेगी।

इसलिए जन्माष्टमी व्रत 18 और 19 अगस्त को
जन्माष्टमी व्रत का नियम है कि जिस रात निशीथ काल में यानी मध्यरात्रि के समय अष्टमी तिथि लगती है उसी दिन श्रीकृष्ण जन्म व्रत किया जाता है और अगले दिन जन्मोत्सव मनाया जाता है। 18 अगस्त को निशीथ काल में अष्टमी तिथि होने से कई लोगों ने इस दिन व्रत रखा था। जबकि 19 अगस्त को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी। आज अष्टमी तिथि का समापन मध्यरात्रि 1 बजकर 23 मिनट पर होगा।

जन्माष्टमी व्रत का ऐसे लें संकल्प
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाले को सुबह स्नान ध्यान करके सबसे पहले बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। जो लोग निराहार नहीं रह सकते वह चाहें तो कुछ फल खा सकते हैं। व्रती को इस दिन मन, वचन से सात्विक व्यवहार करना चाहिए। किसी के लिए बुरा विचार न लाएं और किसी से बुरा न कहें। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का ध्यान करें।

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जन्माष्टमी व्रत में मध्यरात्रि की पूजा का सबसे अधिक महत्व है।

जन्माष्टमी पर 44 मिनट सबसे खास
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी में मध्यरात्रि के समय की जानी वाली पूजा का सबसे अधिक महत्व है। अबकी बार रात के 12 बजकर 3 मिनट से रात 12 बजकर 47 मिनट तक नीशीथ कल रहेगा। यानी कुल 44 मिनट तक का समय है जो श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए सबसे खास है। इस समय लड्डू गोपाल और छोटे कान्हाजी का 16 ऋंगार करके उनकी विधिवत पूजा करें।

जन्माष्टमी की रात क्या करें
कान्हा को स्नान करें। नए वस्त्र पहनाएं। बांसुरी और गौ भी कान्हा के साथ रखें। फिर पुष्प और पंचामृत से कान्हा की पूजा करके माखन मिसरी का भोग लगाएं। इसी प्रसाद को ग्रहण करके व्रती को व्रत संपन्न करना चाहिए और फिर रात में फलाहार करके रात्रि जागरण करते हुए अष्टमी व्रत पूरा करना चाहिए। अगले दिन अन्न जल ग्रहण करें। इस तरह से जन्माष्टमी व्रत रखने से व्रत का अधिक पुण्य प्राप्त होगा।