हिंदू कैलेंडर के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मथुरा में हुआ था. वे माता देवकी और पिता वासुदेव की आठवीं संतान थे. हर साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई जाती है. लोग व्रत रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं. इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त को है या फिर 19 अगस्त को? इसको लेकर लोगों के मन में संशय की स्थिति है
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और पूजा मुहूर्त के बारे में.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु का श्रीकृष्णावतार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. कई बार अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र प्राप्त नहीं होता है. इस साल ही रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त को नवमी तिथि में है.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 20 अगस्त, 01:53 एएम से
रोहिणी नक्षत्र समापन: 21 अगस्त, 04:40 एएम पर
जन्माष्टमी मुहूर्त 2022
पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 18 अगस्त दिन गुरुवार को रात 09 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 अगस्त दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 59 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में देखा जाए तो अष्टमी तिथि की रात्रि में पूजा का मुहूर्त 18 अगस्त को ही प्राप्त हो रहा है. इस आधार पर 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा. रात में लड्डू गोपाल की पूजा की जाएगी, जन्मोत्सव मनाया जाएगा और अगली सुबह पारण करके व्रत को पूरा किया जाएगा.
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2022
18 अगस्त को जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि के समय में 12 बजकर 03 मिनट से देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक है. इस अवधि में भगवान बाल गोपाल जी का जन्म होगा और उत्सव मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी व्रत का पारण
जो लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे, वे अगले दिन सुबह 19 अगस्त को 05 बजकर 52 मिनट के बाद पारण करके व्रत को पूरा करेंगे. कई स्थानों पर लोग बाल गोपाल के जन्मोत्सव के बाद प्रसाद ग्रहण करके ही पारण कर लेते हैं. आपके यहां जो रिवाज है, उस अनुसार व्रत का पारण कर लें.
19 अगस्त को वैष्णव जन्माष्टमी
18 अगस्त को गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी है, वहीं वैष्णव समुदाय के लोग 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. हालांकि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी.