आचार्य चाणक्य स्वयं एक शिक्षक थे, इसलिए शिक्षा के महत्व को भी बहुत अच्छे से समझते थे. आचार्य ने विद्यार्थियों के लिए शिक्षा से जुड़ी कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिन्हें हर छात्र को जानना चाहिए ताकि अपने भविष्य को उज्जवल बना सकें.
आचार्य का मानना था कि ज्ञान और शिक्षा के बिना जीवन में सफलता मिलना नामुमकिन है. इसलिए हर व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति जरूर करनी चाहिए और इसके लिए कितनी भी बहुमूल्य चीज को त्यागना पड़े, तो संकोच नहीं करना चाहिए.
शिक्षा ही व्यक्ति को अच्छे और बुरे का भेद बताती है. जो व्यक्ति शिक्षा के महत्व को नहीं समझता और इससे भागने का प्रयास करतेा है, उसके जीवन में बाधा, परेशानी और संकट कभी समाप्त नहीं होते. उसे छोटी छोटी चीजों को भी प्राप्त करने में भी संघर्ष करना पड़ता है.
शिक्षा को ग्रहण करने में अनुशासन का पालन करना चाहिए. अनुशासन के बिना पूर्ण रूप से शिक्षा प्राप्त करना मुमकिन नहीं होता. साथ ही इसके लिए बुरी संगत का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि बुरी संगत आपकी शिक्षा में बहुत बड़ी रुकावट होती है.
आचार्य चाणक्य का मानना था कि गुरू से ज्ञान लेते समय कभी संकोच नहीं करना चाहिए. जो व्यक्ति ज्ञान लेने में शर्म या संकोच करता है, उसका ज्ञान अधूरा रह जाता है. अधूरा ज्ञान व्यक्ति के किसी काम नहीं आता.