Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022 : जानें पूजा विधि आज अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर इस मुहूर्त करें व्रत.

Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022: आज 11 दिसंबर दिन रविवार को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत है. आज के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और व्रत कथा का श्रवण करते हैं. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. इसके अधिपति देव गणपति बप्पा हैं. दिनभर व्रत और गणेश पूजा करते हैं और रात्रि के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करते हैं, तभी यह व्रत पूरा होता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव से जानते हैं अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2022 मुहूर्त

पौष कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज, 11 दिसंबर, शाम 04 बजकर 14 मिनट से

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पौष कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: कल, 12 दिसंबर, शाम 06 बजकर 48 मिनट पर

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय समय: आज रात 08 बजकर 01 मिनट पर

सर्वार्थ सिद्धि योग: आज, रात 08 बजकर 36 मिनट से कल सुबह 07 बजकर 04 मिनट तक

ब्रह्म योग: आज सुबह से लेकर कल सुबह 05 बजकर 15 मिनट तक

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रवि पुष्य योग: आज, रात 08 बजकर 36 मिनट से कल सुबह 07 बजकर 04 मिनट तक

भद्रा: सुबह 07 बजकर 04 मिनट से शाम 04 बजकर 14 मिनट तक

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गणेश पूजन मंत्र

1. ओम गं गणाधिपतये नम:

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2. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि

1. आज प्रात: स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें क्योंकि पौष माह में सूर्य की पूजा करने से भाग्य प्रबल होता है. इसके बाद आप हाथ में जल, पुष्प और अक्षत् लेकर अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें.

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2. इसके बाद शुभ मुहूर्त में आप गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को एक पीले रंग की चौकी पर स्थापित करें. उसके बगल में कलश रखें.

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3. फिर गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं. उसके बाद वस्त्र, तिलक, चंदन, यज्ञोपवीत, अक्षत्, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य, सिंदूर आदि अर्पित करें.

4. इसके बाद गणेश जी के मस्तक पर दूर्वा अर्पित करें. फिर उनको मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. अब आप गणेश चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें. फिर घी के दीपक से विधिपूर्वक गणेश जी की आरती करें.

5. गणेश पूजन के बाद फलाहार करें. दिन में भगवत भजन और कीर्तन करें. रात्रि के समय में चंद्रमा के उदित होने पर उनको अर्घ्य दें. इसके लिए पानी में गाय का दूध, सफेद चंदन और अक्षत् मिला लेना चाहिए.

6. चंद्र देव की पूजा के बाद गणेश जी से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.

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