भारतीय रेल ने एक बार फिर बड़ा बदलाव करने की तैयारी शुरू कर दी है. रेलवे ने पुराने कोच को ऑपरेट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिससे अब लोडिंग-अनलोडिंग करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. पूर्वोत्तर रेलवे ने आयु पूरा कर चुकी पैसेंजर कोच को अब एमएमजीएचएस कोच बना दिया है. यह कोच ऑटोमोबाइल सेक्टर की जरूरतों को पूरा करते हैं. इनमें गाड़ियों की लोडिंग-अनलोडिंग आसान होती है. पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया है कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों, संगठनों और व्यापारियों की ऑटोमोबाइल परिवहन से जुड़ी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर कारखाने में पहला NMGHS कोच तैयार कर लिया गया है. ये एक ऑटो मोबाइल कैरियर है.
कन्वर्ट किए गए कोच का बाहरी रूप :
भारतीय रेलवे की ओर से साफ किया गया है कि आने वाले दिनों में ऐसे 100 कोच बनाए जाएंगे. इनके लिए आयु पूरी कर चुके नॉन एसी कोच का इस्तेमाल किया जाएगा. इज्जतनगर कारखाने में ऐसे 40 कोच तैयार होने हैं. सरकार स्लीपर और जनरल श्रेणी वाले पुराने कोच को इसके इस्तेमाल में ला रही है.
इतनी है इन कोच की लोड कैपिसिटी :
रेलवे ने जानकारी दी है कि इन कोच की मैक्सिमम लोड कैपिसिटी 18 टन है. ये पहले बनाए गए ऐसे कोच की तुलना में लगभग दोगुनी है. इसकी अधिकतम गति 110 किमी. प्रति घंटा है. वहीं इन कोचों में अपेक्षाकृत अधिक ऑटो मोबाइल यूनिटों को लोड किया जा सकता है, जिसकी वजह से कंपनियों की मालवहन लागत में कमी आएगी. वहीं माल पहुंचने में लगने वाले वक्त की बचत भी होगी.
किए गए हैं कई बदलाव :
इज्जतनगर कारखाने में बने इन कोच में कई नई तरह की साज सज्जा की गई है. जैसे कि इन ऑटो मोबाइल कैरियर एन.एम.जी.एच.एस. कोच में प्लेटफार्म लोडिंग के लिए रैम्प एसेम्बली के साथ 04 अलग स्लाइडिंग डोर लगाये गये है. इसमें बेहतर डिजाइन के साथ बैरल लॉक लगाई गयी है. इसमें ले जाई जाने वाली ऑटोमोबाइल यूनिटों की बेहतर सुरक्षा हेतु लैसिंग प्वाइंट उपलब्ध कराये गये है.
इस कोच के फर्श पर परफोरेटड प्लेट एवं चेकर्डप्लेट लगायी गयी है. इसमें बेहतर वेंटींलेशन हेतु 08 लुवर्स लगाये गये हैं. वहीं कोच के अंदर प्राकृतिक रोशनी के लिए नेचुरल पाइप लाइट अरेन्जमेंट किया गया है.