पंचक क्या होता है | पंचक में क्या नहीं करना चाहिए? | पंचक कितने प्रकार के होते हैं | पंचांग में पंचक कैसे देखें

यदि किसी मृत शारीर का दाह संस्कार पंचक में किया जाता है तो उचित ढंग से पंचक शांति करनी चाहिए अन्यथा यह कहा जाता है की यह उसी परिवार अथवा नजदीकी संबंधियों में पञ्च व्यक्तियों को मृत्यु की और अग्रसर करता है

Panchak Kya Hota Hai
X

पंचक: वैदिक संदर्भ एवं ज्योतिषीय विवेचना

पंचक एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसे वैदिक शास्त्रों में विशेष स्थान दिया गया है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा कुम्भ और मीन राशि में गोचर करता है और पाँच विशेष नक्षत्रों — धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती — में स्थित रहता है। पंचक को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान ग्रहों की स्थिति जीवन में कठिनाइयों को जन्म दे सकती है। दाह संस्कार, दक्षिण दिशा की यात्रा, चारपाई बुनना, लकड़ी व् घास इक्कठा करन और मुख्यता छत डालना इन पञ्च कार्यों में पंचक त्यागना चाहिए।

यदि किसी मृत शारीर का दाह संस्कार पंचक में किया जाता है तो उचित ढंग से पंचक शांति करनी चाहिए अन्यथा यह कहा जाता है की यह उसी परिवार अथवा नजदीकी संबंधियों में पञ्च व्यक्तियों को मृत्यु की और अग्रसर करता है

वैदिक ग्रंथों में पंचक को कई महत्वपूर्ण संदर्भों में वर्णित किया गया है। विशेष रूप से ऋग्वेद, यजुर्वेद, नारदसंहिता, बृहस्पति संहिता, अग्नि पुराण और गरुड़ पुराण में पंचक की महत्ता, इसके प्रभाव और इसके निवारण के उपायों का उल्लेख किया गया है।

वैदिक संदर्भ (Vedic References)

पंचक का उल्लेख वेदों और शास्त्रों में

ऋग्वेद एवं यजुर्वेद में नक्षत्रों की विशेष स्थिति और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है।

ब्रह्मपुराण में पंचक के दौरान शुभ कार्यों की निषेधता का उल्लेख किया गया है।

नारदसंहिता में पंचक को अशुभ बताया गया है और इसे दोष शांति के उपायों से दूर करने की बात कही गई है।

स्कंद पुराण के अनुसार पंचक के दौरान दाह संस्कार करने से संपूर्ण परिवार पर कष्ट आ सकता है।

गरुड़ पुराण में पंचक मृत्यु से संबंधित निषेध और उसके निवारण हेतु विशेष अनुष्ठानों का उल्लेख किया गया है।

पंचक के 5 प्रकार एवं उनके प्रभाव

संख्या पंचक के प्रकार
1

रोग पंचक

2

राज पंचक

3

अग्नि पंचक

4

मृत्यु पंचक

5

चोर पंचक


1. रोग पंचक (स्वास्थ्य बाधा और रोग वृद्धि)

बृहज्जातक (वराहमिहिर) में कहा गया है —

धनिष्ठा संज्ञिते पंचके रोगदोषः प्रवर्तते।"

अर्थ: जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र से पंचक प्रारंभ करता है, तो यह रोग बढ़ाने वाला होता है। इस समय स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ अधिक उत्पन्न हो सकती हैं।

रोग पंचक में क्या न करें?

चिकित्सा प्रक्रियाओं को टालना चाहिए।

हवन और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

2. राज पंचक (प्रशासनिक और राजनीतिक अस्थिरता)

बृहस्पति संहिता में वर्णन है —

शतभिषा स्थिते चन्द्रे नृपाणां क्षोभकारकः।

अर्थ: जब चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र में स्थित होता है, तो शासन और प्रशासन में अस्थिरता आती है।

राज पंचक क्या न करें?

सरकारी निर्णय या राजनीतिक सौदेबाजी से बचें।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु की आराधना करें।

3. चोर पंचक (चोरी, धन हानि और धोखाधड़ी का खतरा)

नारद संहिता में कहा गया है —

पूर्वार्धे चोरनक्षत्रे, न धने निवेशयेत्।

अर्थ: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में धन का निवेश नहीं करना चाहिए।

चोर पंचक में क्या न करें?

इस समय व्यापारिक लेन-देन और बड़ी खरीदारी से बचें।

श्री सूक्त का पाठ करें और कुबेर यंत्र की पूजा करें।

4 अग्नि पंचक (आगजनी, दुर्घटनाएँ और आपदा का योग)

अग्नि पुराण में लिखा है —

उत्तराभाद्रपदे चन्द्रे हुताशनप्रवर्धनम्।

अर्थ: जब चंद्रमा उत्तराभाद्रपद में होता है, तो अग्नि दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं।

अग्नि पंचक में क्या न करें?

इस समय गृह निर्माण या नया उद्योग प्रारंभ नहीं करना चाहिए।

अग्नि सूक्त का पाठ करें और हवन करें।

5 मृत्यु पंचक (अचानक मृत्यु और अनहोनी का खतरा)

गरुड़ पुराण में लिखा गया है —

"रेवत्यां पंचके मृत्युः, वंशविनाशकारकः।"

अर्थ: यदि पंचक के दौरान दाह संस्कार किया जाता है, तो संपूर्ण परिवार पर कष्ट आ सकता है।

मृत्यु पंचक में क्या न करें?

इस दौरान मृत्यु संस्कार नहीं करना चाहिए।

यदि करना आवश्यक हो, तो पंचक शांति हवन और विशेष पिंडदान करें।

पंचक दोष निवारण के वैदिक उपाय

रोग पंचक – महामृत्युंजय मंत्र का जप करें और हवन करवाएँ।

राज पंचक – विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

चोर पंचक – श्री सूक्त और कुबेर यंत्र की पूजा करें।

अग्नि पंचक – अग्नि सूक्त का पाठ करें और अग्निहोत्र करें।

मृत्यु पंचक – पंचक शांति यज्ञ करें और पिंडदान करवाएँ।

पंचांग में पंचक कैसे देखें?

चंद्रमा की स्थिति जाँचें – यदि चंद्रमा कुंभ या मीन राशि में है, तो पंचक चल रहा है।

नक्षत्र देखें – धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, और रेवती।

विशेष पंचांग सूचकांक देखें – वार और तिथि के अनुसार पंचक की पुष्टि करें।

वैदिक उपाय अपनाएँ – यदि पंचक में कोई जरूरी कार्य करना हो, तो विशेष पूजा और हवन करें।

निष्कर्ष:

पंचक एक खगोलीय स्थिति है, जिसका प्रभाव वेदों, पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है।

यह समय सामान्य कार्यों के लिए प्रतिकूल हो सकता है, लेकिन यदि आवश्यक कार्य करने की बाध्यता हो, तो वैदिक उपाय अपनाकर दोषों का निवारण किया जा सकता है।

पंचक के दौरान उचित वैदिक साधनाएँ करने से इसका नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है।

धर्म, ज्योतिष और कर्म के समुचित संतुलन से जीवन को शुभ और कल्याणकारी बनाया जा सकता है।

यदि पंचक में कोई आवश्यक कार्य करना हो, तो उचित उपाय एवं ज्योतिषीय परामर्श लें।

राशिफल Today – हर दिन का सटीक भविष्यफल!

दैनिक राशिफल, पर्व-त्योहार, ज्योतिषीय उपाय और शुभ मुहूर्त के लिए RashifalToday.in पढ़ें। करियर, विवाह, वित्त और स्वास्थ्य संबंधी ज्योतिषीय सलाह पाएं। अपनी राशि के अनुसार सही मार्गदर्शन और सटीक भविष्यवाणी के लिए जुड़े रहें!


पंचक क्या होता है | पंचक में क्या नहीं करना चाहिए? | पंचक कितने प्रकार के होते हैं | पंचांग में पंचक कैसे देखें

Next Story
Share it