Old Pension Scheme : पुरानी पेंशन योजना बहाली के ल‍िए सरकारी कर्मचारी अब करेंगे यह काम.

Old Pension Scheme पर अपडेट सामने आ गई है. अब पुरानी पेंशन योजना के लिए सरकारी कर्मचारियों को यह काम करना होगा. देशभर में पुरानी पेंशन योजना की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिसको देखते हुए देश भर के विभिन्न राज्य सरकारों ने इसे लागू करने का फैसला किया है. इनमें कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान शामिल है. इसके अलावा अब पंजाब सरकार ने भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना शुरू कर दिया है. हालांकि केंद्र सरकार भी पुरानी पेंशन योजना पर जल्दी बड़ा फैसला करने वाली है. अब केंद्र और राज्य से कम 50 संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि फिलहाल राष्ट्रीय पेंशन योजना के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है. इसको देखते हुए अब केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है.

संसद के मानसून सत्र के दौरान जुलूस निकालेंगे :

पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर हाल ही में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का बयान आया था. उन्‍होंने कहा था यद‍ि ओपीएस (OPS) को लागू क‍िया गया तो यह अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छा नहीं होगा. कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यद‍ि सरकार ने उनकी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की तो वे संसद के मानसून सत्र के दौरान जुलूस निकालेंगे. राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई परिषद (NJCA) के बैनर तले संगठनों ने बयान जारी कर कहा कि मांग को लेकर 21 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.

राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत :

एनजेसीए की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘एक जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्रीय कर्मियों के लिए एनपीएस (NPS) लागू हुई और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग तिथियों पर इसे लागू कर र‍िटायर होने वाले कर्मियों के लिए इसे नुकसानदायक बना दिया. यह किसी भी तरह से गारंटीशुदा पुरानी पेंशन योजना से मेल नहीं खाता है.’ बयान के अनुसार, संगठनों को लगता है कि आंदोलन को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है. एनजेसीए के बैनर तले पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए एक संयुक्त मंच गठित किया गया है.

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पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का सरकार का मूड नहीं है. प‍िछले द‍िनों व‍ित्‍त राज्‍य मंत्री भागवत कराड ने संसद में द‍िए बयान में ओपीएस लागू करने से साफ इंकार कर द‍िया गया था.