राज्य में जमीनों का वर्गीकरण नये सिरे से करने की तैयारी है। इसे लेकर उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग में मंथन शुरू हो गया है। जमीन का नये स्तर से वर्गीकरण निर्धारित करने और मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने के लिए विभागीय स्तर पर एक आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है। इसमें उप-निबंधक समेत विभाग के अन्य वरीय अधिकारी शामिल हैं।
यह कमेटी सभी पहलुओं पर समीक्षा करके जमीनों का वर्गीकरण कम से कम करने और पूरे राज्य में जमीन का वर्गीकरण एक समान रूप से लागू करने से संबंधित रिपोर्ट तैयार करेगी। अभी राज्य में अलग-अलग जिलों या क्षेत्रों में जमीन का वर्गीकरण भिन्न है। इनकी संख्या कहीं छह से आठ तो कहीं यह 15 श्रेणियों में है। इससे कई स्तर पर परेशानी होती है और निबंधन दर के निर्धारण में भी समस्या आती है। अब पूरे राज्य में इन सभी वर्गों को समाहित करके तीन या चार प्रमुख श्रेणियां बना दी जाएंगी। इससे जमीन की विसंगति को लेकर मौजूद समस्याएं काफी हद तक समाप्त हो जाएंगी।
जमीन का यह वर्गीकरण निबंधन के आधार पर वर्गीकृत की गयी जमीन का ही किया जायेगा। यानी राजस्व के आधार पर मौजूदा जमीनों का वर्गीकरण इससे प्रभावित नहीं होगा। वर्तमान में निबंधन के आधार पर जमीनों का जो वर्गीकरण है, उसमें अगर पटना शहर की बात करें, तो यहां शहरी जमीन, विकासशील इलाके की जमीन, पटना मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की जमीन जैसे वर्गीकरण हैं। इन प्रमुख वर्गों के अलावा प्रधान सड़क, मुख्य सड़क, व्यावसायिक सड़क, गली के किनारे वाली जमीन जैसे वर्गीकरण भी हैं। ग्रामीण इलाकों में बुआही भिट्टी, केवाल जैसे अन्य जमीन के वर्गीकरण हैं। अलग-अलग जिलों में यह वर्गीकरण भी अलग हैं और इनकी संख्या कम या ज्यादा होती है। पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, गया, बांका समेत कुछ अन्य जिलों में वर्गीकरण के प्रकारों की संख्या काफी है।