देशभर में हर दिन लाखों यात्री है भारतीय रेलवे की रेल सेवा से यात्रा करते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन चलाने वाले व्यक्ति को क्या कहा जाता है. गौरतलब है कि इन्हें एक चालक नहीं कहा जाता है. ट्रेन चलाने वाले व्यक्ति को लोको पायलट कहा जाता है.
देशभर में लाखों युवा लोको पायलट बनने का सपना रखते हैं एवं उसके लिए दिन रात एक कर तैयारी करते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि रेलवे में लोको पायलट कैसे बनते हैं. लोको पायलट की जिम्मेदारियां भी एक एरोप्लेन के पायलट की इतनी होती है. वैसे तो एरोप्लेन के पायलट और लोको पायलट में बहुत अंतर होता है.
लेकिन, दोनों के बीच एक समानता है. यह दोनों तकरीबन 10000 से अधिक यात्रियों का परिवहन के लिए जिम्मेदार होते हैं और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं.
लोको पायलट बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए :
मान्यता प्राप्त संस्थान से आईटीआई अथवा इंजीनियरिंग में डिप्लोमा अथवा एसीटी का अप्रेंटिसशिप कोर्स करने वाले उम्मीदवार लोको पायलट बन सकते हैं. उम्मीदवार की आयु 18 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
लोको पायलट कैसे बनें :
वैसे तो लोको पायलट पद के लिए कोई सीधी भर्ती नहीं होती है. बल्कि असिस्टेंट लोको पायलट को ही लोको पायलट के पद पर प्रोन्नति दी जाती है. असिस्टेंट लोको पायलट पदों के लिए आरआरबी की ओर से परीक्षा आयोजित की जाती है. आरआरबी तीन चरणों में असिस्टेंट लोको पायलट परीक्षा कराता है.
परीक्षा पैटर्न :
आरआरबी असिस्टेंट लोको पायलट परीक्षा के तहत सीबीटी-1, सीबीटी 2 एवं कंप्यूटर आधारित एप्टीट्यूड टेस्ट होता है. कंप्यूटर आधारित परीक्षा, सीबीटी-1 में 60 मिनट में 75 प्रश्न पूछे जाते हैं. इसे क्लियर करने वालों को सीबीटी-2 के लिए बुलाया जाता है. जिसके तहत 2 भाग होते हैं. भाग 1 में 100 प्रश्न एवं भाग 2 में 75 प्रश्न होते हैं. अंत में कंप्यूटर आधारित एप्टीट्यूड टेस्ट होता है.
कितनी मिलती है सैलरी :
एक लोको पायलट को औसतन ₹55,000 प्रति माह की सैलरी मिलती है. हालांकि अनुभव के आधार पर यह 20,000 से 85,000 के बीच हो सकती है.