देशभर में कोरोना महामारी की स्थिति उत्पन्न होने के बाद राजधानी सहित देश में प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्रों परीक्षा देने वाले लाखों छात्र प्रभावित हुए। जिसके कारण उनका कई साल कोरोना महामारी के दौरान खराब हो गया। ऐसे में जिन छात्रों की उम्र सीमा 1 या 2 साल बची थी उनकी उम्र पूरी तरह समाप्त हो गई। जिसके बाद एसएससी जीडी, सीजीएल, अग्निवीर सहित अन्य कई बहाली में सरकार एवं विभाग द्वारा छात्रों को एक एक्स्ट्रा चांस दिया गया है। वहीं अब यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र भी एक्स्ट्रा चांस की मांग कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि देश के 100 से अधिक सांसदों के अलावा इस मामले की समिति की रिपोर्ट में भी छात्रों को अवसर देने की बात कही गई है, लेकिन अब तक यह अवसर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। प्रतियोगी परीक्षा के छात्र सुभाष ठाकुर का कहना है कि कोरोना महामारी के दो वर्षों (2020 और 2021) में लॉकडाउन, कोविड नियमों के अनुपालन, शिक्षण संस्थानों का बंद होने व अन्य कारणों से अभ्यर्थियों को समुचित तैयारी करने का अवसर ही नहीं मिल सका।
लाखों अभ्यर्थीगण इन्हीं दो वर्षों में निर्धारित उम्र सीमा एवं अवसरों की संख्या को पार कर चुके हैं। अब वे इन परीक्षाओं में बैठने की पात्रता खो चुके हैं। छात्रगण केन्द्र सरकार से केन्द्रीय भर्ती परीक्षाओं में अतिरिक्त मौके और आयु सीमा में छूट देने की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने पूर्व में अभ्यर्थियों को दी है छूट :
प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई हेतु हर वर्ग और हर क्षेत्र को कुछ न कुछ राहत अवश्य पहुंचाई है। मसलन, अग्निपथ योजना में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में दो वर्षों की छूट तथा एसएससी जीडी के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में तीन वर्षों की छूट प्रदान कर दी गई है।
यहां तक कि एसएससी सीजीएल में ‘एज रेकनिंग पॉलिसी’ में बदलाव लाने से लाखों अभ्यर्थी लाभान्वित हुए हैं, लेकिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रगण अबतक राहत से अछूते हैं। कई राज्यों ने अपने यहां आयु सीमा में छूट के साथ अवसर प्रदान किया है। यह एक ‘नीतिगत मामला’ है जो पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है। इससे पहले भी वर्ष 1979, 1990, 1992, 2014 और 2015 में यूपीएससी के द्वारा छूट दी जा चुकी है।
संसदीय समिति ने भी की है सिफारिश :
अभ्यर्थियों का कहना है कि भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली ‘विभागीय संसदीय स्थायी समिति’ ने भी अपनी 112वीं रिपोर्ट में सिविल सेवा के आकांक्षियों को अतिरिक्त अवसर और आयु सीमा में छूट देने के लिए सरकार से अनुशंसा की है। समिति का कहना है कि सरकार विशेषज्ञ समिति का गठन करे जो मूल्यांकन करे।