ITR Filling Rules : लोग रोजगार करके सैलरी (Salary) हासिल करते हैं और सैलरी पर इनकम टैक्स भी चुकाया जाता है. इसके अलावा लोग बिजनेस के जरिए भी इनकम (Income) जनरेट करते हैं. वहीं बिजनेस से होने वाली इनकम पर भी टैक्स (Tax) देना होता है.
Income Tax Return : इनकम टैक्स विभाग की ओर से इनकम टैक्स वसूल किया जाता है. लोगों की टैक्सेबल इनकम होने के बाद उनकी जिम्मेदारी है कि वो इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल करे. वहीं अगर टैक्सेबल इनकम होने के बावजूद भी लोग अगर टैक्स नहीं भरते हैं तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी आयकर विभाग की ओर से की जा सकती है. ऐसे में जरूरी है कि इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में अगर आपकी इनकम आती है तो टैक्स दाखिल करना काफी जरूरी हो जाता है.
इनकम पर टैक्स :
वहीं लोग रोजगार करके सैलरी (Salary) हासिल करते हैं और सैलरी पर इनकम टैक्स भी चुकाया जाता है. इसके अलावा लोग बिजनेस के जरिए भी इनकम (Income) जनरेट करते हैं. वहीं बिजनेस से होने वाली इनकम पर भी टैक्स (Tax) देना होता है. हालांकि इनके अलावा भी लोगों को अलग-अलग जगह से कमाई हो सकती है, जिन पर टैक्स देना पड़ता है.
हो सकती है दिक्कतें :
बिजनेस या सैलरी के अलावा अन्य सोर्स से इनकम होने पर लोग अक्सर उस पर टैक्स देने में आनाकानी करती हैं. हालांकि अगर दूसरे सोर्स से आई इनकम अगर टैक्सेबल है तो उस पर भी टैक्स देना पड़ता है. ऐसा नहीं करने पर और टैक्स बचाने पर दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है.
Income Tax Act 1961 :
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक सैलरी और बिजनेस से आई इनकम एक निश्चित सीमा के बाद टैक्सेबल (Taxable Income) हो जाती है. वहीं बिजनेस और सैलरी के अलावा भी कुछ ऐसे सोर्स हैं, जिनसे हासिल की गई इनकम टैक्सेबल हो सकती है.
इस इनकम पर भी टैक्स :
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक कैपिटल गैन टैक्स भी वसूल किया जाता है. इसके अलावा हाउस प्रॉपर्टी से हुई इनकम पर भी टैक्स वसूला जाता है. इनके अलावा लॉटरी से हासिल की गई इनकम, गैम्बलिंग से हुई कमाई पर भी टैक्स लगता है. वहीं अगर डिविडेंड आया है तो उस पर भी टैक्स लगता है.