Banks Privatisation : अगले साल का आम बजट पेश होने में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है।सरकारी अधिकारी दिन रात एक करके बजट की तैयारियों में लगे हैं। इस बीच मीडिया में एक लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें कुछ सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की बात है, जबकि कुछ को छोड़ देने की। हालांकि इस लिस्ट और खबर को लेकर अब नीति आयोग ने अपना सफाई दी है। आयोग का कहना है कि ये सभी खबरें गलत हैं।
नीति आयोग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा- मीडिया में नीति आयोग द्वारा जारी सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट को लेकर मनगढ़ंत संदेश प्रसारित किया जा रहा है।नीति आयोग ने ऐसी कोई लिस्ट किसी भी रूप में शेयर नहीं की है।
नीति आयोग ने क्या कहा?
पब्लिक सेक्टर के बैंकों के निजीकरण पर मीडिया द्वारा शेयर की गई लिस्ट को नीति आयोग ने फर्जी बताया है। नीति आयोग ने कहा कि अब तक किसी भी रूप में ऐसी कोई लिस्ट शेयर नहीं की गई है। मीडिया में मनगढ़ंत संदेश प्रसारित किया जा रहा है। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि देश के कुछ सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जैसे कि पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), केनरा बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है।
बजट 2021 में किया गया था ऐलान :
सरकार ने 19 दिसंबर को स्पष्ट किया कि वह संबंधित विभाग और नियामक से परामर्श के बाद ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के निजीकरण पर विचार करेगी। असल में, अप्रैल 2021 में नीति आयोग ने वित्त मंत्रालय से विचार-विमर्श के बाद निजीकरण करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श शुरू किया था। सरकारी थिंक-टैंक को दो सार्वजनिक क्षेत्र के नामों का चयन करने का काम सौंपा गया था। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल अपने बजट भाषण में दो सरकारी बैंक और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की बात कही थी।