तिथि क्षय क्या होता है | तिथि वृद्धि क्या होता है | क्षय तिथि'' किसे कहते है | क्षय तिथि में क्या नहीं करना चाहिए? |
यदि एक तिथि सूर्य उदय के पश्चात प्रारंभ होकर अगले सूर्य उदय के पूर्व ही समाप्त हो जाती है तो उसे तिथि का क्षय कहा जाता है और इसे सभी शुभ कार्यों के लिए त्यागना चाहिए. तिथि क्षय का अर्थ यह हैं कि कोई तिथि सूर्य उदय के समय नहीं थी.

तिथि क्षय क्या होती है | क्षय तिथि'' किसे कहते है
यदि एक तिथि सूर्य उदय के पश्चात प्रारंभ होकर अगले सूर्य उदय के पूर्व ही समाप्त हो जाती है तो उसे तिथि का क्षय कहा जाता है और इसे सभी शुभ कार्यों के लिए त्यागना चाहिए. तिथि क्षय का अर्थ यह हैं कि कोई तिथि सूर्य उदय के समय नहीं थी.
तिथि क्षय गणना का तरीका | तिथि की गणना कैसे की जाती है
सूर्योदय समय ज्ञात करें – मान लें कि किसी स्थान पर सूर्योदय सुबह 6:00 AM पर होता है।
तिथि के प्रारंभ और समाप्ति समय को देखें – पंचांग या ज्योतिषीय गणना के आधार पर किसी तिथि का आरंभ और समाप्ति समय देखें।
सूर्योदय पर तिथि उपलब्धता जाँचें – यदि किसी तिथि का आरंभ एक दिन के सूर्योदय के बाद हुआ हो और वह अगले दिन के सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो वह तिथि क्षय मानी जाएगी।
उदाहरण:
उदाहरण 1:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 3 मार्च, 2025 को सुबह 10:30 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 4 मार्च, 2025 को रात 3:15 बजे
सूर्योदय: 4 मार्च, 2025 को सुबह 6:30 बजे
निष्कर्ष: चतुर्थी तिथि सूर्योदय पर उपलब्ध नहीं थी, क्योंकि यह सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई। इसलिए यह तिथि क्षय मानी जाएगी।
उदाहरण 2:
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 10 अप्रैल, 2025 को दोपहर 2:00 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त: 11 अप्रैल, 2025 को सुबह 7:30 बजे
सूर्योदय: 11 अप्रैल, 2025 को सुबह 6:10 बजे
निष्कर्ष: सप्तमी तिथि सूर्योदय के समय मौजूद थी, इसलिए यह तिथि क्षय नहीं होगी।
इस प्रकार, तिथि क्षय की गणना के लिए सूर्योदय के समय की स्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
क्षय तिथि में क्या नहीं करना चाहिए?
क्षय तिथि को अशुभ माना जाता है और इस दिन कुछ विशेष कार्यों को करने से बचना चाहिए।
1. शुभ कार्य और मांगलिक कार्य न करें
विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, मुंडन, अन्नप्राशन, उपनयन संस्कार, आदि शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
नई व्यापारिक या व्यक्तिगत योजनाएँ शुरू नहीं करनी चाहिए।
2. यात्रा आरंभ न करें
यदि संभव हो तो इस दिन लंबी यात्रा या महत्वपूर्ण यात्रा करने से बचें।
खासतौर पर कोई तीर्थयात्रा या धार्मिक यात्रा शुरू करने से पहले पंचांग देखकर सुनिश्चित करें।
3. नए कार्य या निवेश न करें
इस दिन नया व्यवसाय शुरू करना, भूमि, घर, वाहन या संपत्ति खरीदना अशुभ माना जाता है।
बड़े आर्थिक लेन-देन और निवेश करने से बचना चाहिए।
4. उपनयन और दीक्षा संस्कार न करें
यदि किसी व्यक्ति का यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार या संन्यास लेने का विचार हो, तो इस तिथि को टालना चाहिए।
5. गृह निर्माण और वास्तु कार्य न करें
घर की नींव रखना, गृह निर्माण शुरू करना या किसी नए स्थान पर शिफ्ट होना अशुभ होता है।
6. महत्वपूर्ण निर्णय न लें
इस दिन पारिवारिक या व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए, क्योंकि यह तिथि अनिश्चितता और अस्थिरता का प्रतीक मानी जाती है।
अपवाद (Exception):
यदि कोई विशेष ज्योतिषीय संयोग बनता है, तो कुछ कार्य क्षय तिथि में भी किए जा सकते हैं। इसके लिए योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए।
कुछ तिथियों में यदि शुभ योग बन रहे हों (जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग), तो कभी-कभी कार्य संपन्न हो सकते हैं।
संक्षेप में, क्षय तिथि में सभी शुभ, मांगलिक और नए कार्यों से बचना चाहिए और इसे अधिकतर उपासना, ध्यान, पूजा-पाठ और आत्मचिंतन के लिए उपयोग करना चाहिए।
तिथि वृद्धि क्या होती है
यदि कोई तिथि दो सूर्य उदय के समय मौजूद होती है अथवा दुसरे शब्दों में यदि कोई तिथि एक सूर्य उदय से पूर्व प्रारंभ होकर अगले दिन के सूर्य उदय के पश्चातसमाप्त होती है तो यह तिथि वृद्धि कहलाती है और इसे भी सभी शुभ कार्यों के लिए त्यागना चाहिए.
तिथि वृद्धि की गणना कैसे करें?
सूर्योदय का समय ज्ञात करें – हर दिन के सूर्योदय का समय पंचांग से देखें।
तिथि का प्रारंभ और समाप्ति समय देखें – किसी तिथि का आरंभ और समाप्ति समय जानें।
सूर्योदय पर तिथि उपलब्धता जांचें – यदि कोई तिथि लगातार दो दिन सूर्योदय के समय मौजूद हो, तो वह वृद्धि तिथि कहलाती है।
उदाहरण के साथ गणना
उदाहरण 1: तिथि वृद्धि की स्थिति
मान लें:
द्वितीया तिथि शुरू हुई: 10 मार्च, 2025 को सुबह 5:40 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त हुई: 12 मार्च, 2025 को सुबह 7:10 बजे
सूर्योदय (11 मार्च, 2025): सुबह 6:30 बजे
सूर्योदय (12 मार्च, 2025): सुबह 6:28 बजे
गणना:
11 मार्च के सूर्योदय पर द्वितीया तिथि थी।
12 मार्च के सूर्योदय पर भी द्वितीया तिथि थी।
निष्कर्ष: द्वितीया तिथि लगातार दो दिन सूर्योदय पर मौजूद रही, इसलिए यह तिथि वृद्धि कहलाएगी।
उदाहरण 2: तिथि वृद्धि नहीं हुई
मान लें:
चतुर्थी तिथि शुरू हुई: 15 अप्रैल, 2025 को रात 10:45 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त हुई: 16 अप्रैल, 2025 को शाम 5:20 बजे
सूर्योदय (16 अप्रैल, 2025): सुबह 6:10 बजे
सूर्योदय (17 अप्रैल, 2025): सुबह 6:08 बजे
गणना:
16 अप्रैल के सूर्योदय पर चतुर्थी तिथि थी।
17 अप्रैल के सूर्योदय पर पंचमी तिथि आ गई (चतुर्थी समाप्त हो चुकी थी)।
निष्कर्ष: चतुर्थी तिथि लगातार दो दिनों तक सूर्योदय पर नहीं थी, इसलिए यह तिथि वृद्धि नहीं कहलाएगी।
तिथि वृद्धि के प्रभाव
शुभ कार्य: वृद्धि तिथि को कुछ विशेष मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
विवाह और उपनयन संस्कार: तिथि वृद्धि होने पर विवाह और उपनयन संस्कार से बचने की सलाह दी जाती है।
व्रत और पूजा: वृद्धि तिथि में व्रत रखने से अधिक पुण्यफल मिलता है।
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