Swastik Ki Puja Ka Mahatva ; क्यों शुभ कार्य से पहले बनाया जाता है स्वास्तिक आइए जानते हैं.

Swastik Ki Puja Ka Mahatva: हिन्दू धर्म (Hinduism) दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें कई सारे चिन्हों को पवित्र माना जाता है. इन्ही में से एक चिन्ह है स्वास्तिक (Swastik) या सातिया. अक्सर हमने लोगों के घर के बाहर, पूजा स्थलों या मंदिरों (Temple) में स्वास्तिक बना हुआ देखा है. और हम सब यह भी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है. लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं कि क्यों हिन्दू धर्म के लोग शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं अगर आपको नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते है इसके पीछे की वजह.

स्वास्तिक शब्द का अर्थ
स्वास्तिक शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ ‘सु’ का मतलब शुभ, ‘अस’- का मतलब अस्तित्व, और ‘क’ का मतलब कर्ता होता है. इस प्रकार से स्वास्तिक का अर्थ मंगल करने वाला होता है. स्वास्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है, और जिस प्रकार से भगवान गणेश प्रथम पूज्य होते हैं. उसी प्रकार हिन्दू शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि स्वास्तिक में बनी चार रेखाएं चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण को दर्शाती हैं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ये रेखाएं चारों वेदों का प्रतीक है.

वास्तुशास्त्र के अनुसार
ऐसी भी एक मान्यता है कि घर का वास्तु दोष ठीक करने के लिए स्वास्तिक बनाया जाता है, क्योंकि इसकी चार रेखाएं चारों दिशाओं को दर्शाती है. तो किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाना चाहिए.

यह भी पढ़े :  Love Marriage Ke Upay : ये 4 ग्रह लव मैरिज में बाधक बनते हैं इन उपायों से मिल सकता है फायदा.

ज्योतिष के अनुसार
ज्योतिष के अनुसार अगर आपको व्यापार में घाटा उठाना पड़ रहा है तो इसे कम करने के लिए अपनी दुकान के ईशान कोण में लगातार 7 गुरूवार सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से लाभ मिलता है. इसके अतिरिक्त यदि आप किसी कार्य में सफलता चाहते हैं. तो घर के उत्तरी दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक का निशान बनाएं. घर को बुरी नजर से बचाने के लिए काले रंग का सातिया बनाया जाता है. मान्यता है कि काले रंग के कोयले से बने स्वास्तिक से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं.