Sankashti Chaturthi 2022 : जानें मुहूर्त, मंत्र, कथा एवं महत्व संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा.

Sankashti Chaturthi 2022: आज फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी है. इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijpriya Sankashti Chaturthi) भी कहा जाता है. आज के दिन भगवान गणेश के छठें स्वरूप श्री द्विज गणपति की पूजा की जाती है. श्री द्विज गणपति चार भुजाधारी और शुभ्रवर्ण शरीर वाले हैं. उनकी कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सुख और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है. आज की संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है, इसलिए यह बहुत ही विशेष है. इस योग में किए गए कार्य सिद्ध एवं सफल होते हैं. आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त (Muhurat), मंत्र (Mantra), पूजा विधि (Puja Vidhi), व्रत कथा (Vrat Katha) आदि के बारे में. ​

संकष्टी चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी तिथि 19 फरवरी को रात 09:56 बजे से प्रारंभ हुई थी, इसका समापन आज रात 09:05 बजे हो रहा है. आज संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग प्रात:काल से ही बन रहा है.

आज सुबह 06:55 बजे से लेकर शाम को 04:42 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बने रहेंगे. आज दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से दोपहर 12:58 बजे तक है. आप आज श्री द्विज गणपति की पूजा अमृत सिद्धि योग में कर सकते हैं.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद लाल या पीले वस्त्र पहन लें और हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर व्रत एवं श्री द्विज गणपति की पूजा का संकल्प करें. उसके बाद गणेश जी की मूर्ति चौकी पर स्थापित करें. फिर गणेश जी को अक्षत्, लाल फूल, सुपारी, पान का पत्ता, लाल चंदन, रोली, जनेऊ, वस्त्र, धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाएं.

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इन चीजों को अर्पित करते हुए ओम गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें. गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं और भोग में मोदक या लड्डू अर्पित करें. फिर संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें. इस दौरान आप गणेश चालीसा भी पढ़ सकते हैं. अंत में गणेश जी की आरती करें.

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी व्रत की चार कथाएं हैं. आप किसी भी कथा को पढ़ सकते हैं. इन चार कथाओं में से संकट दूर करने वाली कथा यहां विस्तार से पढ़ें.