Vishwakarma Jayanti 2025: विश्वकर्मा पूजा के दिन इन कार्यों से बनाएं दूरी, जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि एवं अनुष्ठान

Vishwakarma Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें ब्रह्मांड का प्रथम इंजीनियर और सृष्टि का महान शिल्पकार माना जाता है।;

Update: 2025-02-10 11:09 GMT

Vishwakarma Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें ब्रह्मांड का प्रथम इंजीनियर और सृष्टि का महान शिल्पकार माना जाता है। इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती 10 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।

विश्वकर्मा जयंती का महत्व

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के भवन, दिव्य अस्त्र-शस्त्र और रथों के निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, सोने की लंका, द्वारिका नगरी, शिवजी का त्रिशूल और विष्णु जी का सुदर्शन चक्र जैसे अद्भुत निर्माण किए। इस दिन श्रद्धालु अपने जीवन में रचनात्मकता, नवीनता और समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।

कारखानों, मशीनों, वाहनों और औजारों की पूजा करके कारीगर, शिल्पकार और इंजीनियर अपने कार्य में सफलता और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह पर्व कड़े परिश्रम, रचनात्मकता और दिव्य प्रेरणा के महत्व को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है।

विश्वकर्मा जयंती 2025 की तिथि और मुहूर्त

  • माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभ: 07:25 PM (09 फरवरी 2025)
  • माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्त: 06:57 PM (10 फरवरी 2025)
  • उदया तिथि के अनुसार: 10 फरवरी 2025 को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी।

विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि

सुबह की तैयारी:

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
  • भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापना:
  • चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • धूप-दीप जलाएं और फूल, रोली, पान, सुपारी अर्पित करें।

मंत्र जाप:

  • निम्न मंत्रों का जाप करें:
  • ॐ आधार शक्तपे नमः
  • ॐ कूमयि नमः
  • ॐ अनंतम नमः
  • ॐ पृथिव्यै नमः
  • ॐ धराधराय नमः
  • ॐ स्थूतिस्माय नमः
  • ॐ विश्वरक्षकाय नमः
  • ॐ दुर्लभाय नमः
  • ॐ स्वर्गलोकाय नमः
  • ॐ पंचवकत्राय नमः

भोग और आरती:

  • भोग में लड्डू, फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • भगवान विश्वकर्मा की आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।

मशीनों और औजारों की पूजा:

  • कारखानों, मशीनों, वाहनों और औजारों पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और फूल अर्पित करें।

विश्वकर्मा जयंती का आध्यात्मिक महत्व

  • यह पर्व रचनात्मकता, नवाचार और कौशल को समर्पित है।
  • भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कार्यक्षेत्र में सफलता और प्रगति मिलती है।
  • इस दिन मशीनों और औजारों की पूजा करने से उनकी दीर्घायु और सुचारु संचालन सुनिश्चित होता है।

दो बार क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती?

देश के कुछ हिस्सों में विश्वकर्मा जयंती साल में दो बार मनाई जाती है:

  • माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी: यह मुख्य तिथि है, जो 10 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
  • आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा: कुछ संस्थानों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा का जन्म इस दिन हुआ था।

विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके अपने कार्य और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करें। इस दिन मशीनों और औजारों की पूजा करके उनकी दीर्घायु और सुचारु संचालन के लिए प्रार्थना करें।

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