Jaya Ekadashi 2025 Date: कब है जया एकादशी? जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Jaya Ekadashi 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को जया एकादशी का पर्व मनाया जाता है। बंगाल में इसे भैमी एकादशी के नाम से जाना जाता है।;

Update: 2025-02-04 15:35 GMT

Jaya Ekadashi 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को जया एकादशी का पर्व मनाया जाता है। बंगाल में इसे भैमी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वर्षभर सभी एकादशियों का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस साल जया एकादशी व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व।

जया एकादशी 2025: तिथि और पारण समय

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 07 फरवरी 2025, रात 09:26 PM
  • एकादशी तिथि समाप्त: 08 फरवरी 2025, रात 08:15 PM
  • व्रत एवं पूजा का दिन: 08 फरवरी 2025
  • पारण (व्रत खोलने का समय): 09 फरवरी 2025, सुबह 07:04 AM से 09:17 AM तक

जया एकादशी का महत्व

  • पापों से मुक्ति: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जया एकादशी व्रत करने से जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
  • मोक्ष प्राप्ति: पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: यह व्रत भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने और सुखमय जीवन प्राप्त करने में मदद करता है।
  • ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति: शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या के पाप से भी छुटकारा मिलता है।

जया एकादशी शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05:21 AM से 06:13 AM
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:26 PM से 03:10 PM

जया एकादशी व्रत और पूजा विधि

  • स्नान और संकल्प: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल की तैयारी: एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और भगवान श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  • धूप-दीप प्रज्वलित करें: भगवान को तुलसी, पीले फूल, बेसन के लड्डू, पीले वस्त्र अर्पित करें।
  • तुलसी को जल अर्पित न करें: इस दिन तुलसी में जल चढ़ाना वर्जित माना जाता है।
  • 14 मुखी दीपक जलाएं: जया एकादशी कथा सुनें और भगवान विष्णु की आरती करें।
  • दान-पुण्य करें: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और तिल का दान करें।
  • भजन-कीर्तन करें: दिनभर श्रीहरि के भजन-कीर्तन में मन लगाएं।
  • पारण: अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

जया एकादशी व्रत पापों से मुक्ति, आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान विष्णु की आराधना करने और विधिपूर्वक व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन किए गए पुण्य कर्म विशेष फलदायी माने जाते हैं।

Tags:    

Similar News