घर में पूजन के समय लंबी बाती जलानी चाहिए या गोल | गोल बत्ती जलाने के फायदे | लंबी बत्ती | गोल बत्ती या लंबी बत्ती
विशेष रूप से, गोल बत्ती और लंबी बत्ती के प्रयोग के पीछे एक विशिष्ट तात्त्विक कारण होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कहाँ और कब कौन-सा दीपक जलाना चाहिए।;
दीपक जलाने के नियम और उनका आध्यात्मिक महत्व
हिन्दू धर्म में दीपक जलाने का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में दीपक जलाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक विज्ञान भी है। दीपक जलाने से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि यह देवताओं को प्रसन्न करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का भी माध्यम बनता है। परंतु, दीपक जलाने के कुछ निश्चित नियम होते हैं, जिनका पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। विशेष रूप से, गोल बत्ती और लंबी बत्ती के प्रयोग के पीछे एक विशिष्ट तात्त्विक कारण होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कहाँ और कब कौन-सा दीपक जलाना चाहिए।
1. गोल बत्ती और लंबी बत्ती का आध्यात्मिक रहस्य
दीपक की लौ में मुख्य रूप से दो ऊर्जाएँ होती हैं:
गोल बत्ती: यह सात्त्विक ऊर्जा (Sattvic Energy) को आकर्षित करती है। इससे वातावरण में शांति और आध्यात्मिक उन्नति बढ़ती है।
लंबी बत्ती: यह शक्ति और तेज ऊर्जा (Shakti & Aggressive Energy) को जाग्रत करती है। इससे वातावरण में शक्ति और स्थायित्व आता है।
इसलिए, विभिन्न देवताओं और वृक्षों के समीप दीपक जलाने के लिए इन बत्तियों का प्रयोग अलग-अलग प्रकार से किया जाता है।
2. देवी-देवताओं के मंदिर में दीपक जलाने का सही नियम
(A) देवताओं के मंदिर में दीपक जलाने का नियम
भगवान विष्णु, शिव, गणेश, हनुमान, कृष्ण आदि पुरुष देवताओं के मंदिर में हमेशा गोल बत्ती का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से सात्त्विकता का संचार होता है और वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।
सही नियम:
देवताओं के मंदिर में गोल बत्ती का दीपक जलाएं।
इसमें तिल का तेल, सरसों का तेल या घी का उपयोग कर सकते हैं।
दीपक को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
भगवान शिव के मंदिर में दीपक को शिवलिंग से थोड़ी दूरी पर रखें।
गलत नियम:
देवताओं के मंदिर में लंबी बत्ती का दीपक जलाना अनुचित होता है।
शिवलिंग पर दीपक सीधा नहीं रखना चाहिए।
देवी मंदिर में दीपक जलाने का नियम
माँ दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती, भैरवी आदि सभी शक्ति स्वरूपा देवियों के मंदिर में लंबी बत्ती का दीपक जलाना चाहिए। देवी पूजन में शक्ति और स्थायित्व की आवश्यकता होती है, जिसे लंबी बत्ती अधिक प्रभावी बनाती है।
सही नियम:
देवी मंदिर में लंबी बत्ती का दीपक जलाएं।
सरसों के तेल का दीपक अधिक शुभ होता है।
दीपक को दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में रखें।
गलत नियम:
देवी मंदिर में गोल बत्ती का दीपक जलाना वर्जित होता है।
दीपक को कभी भी दक्षिण दिशा में न रखें।
3. विभिन्न वृक्षों के नीचे दीपक जलाने के नियम
(A) पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने का नियम
पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसमें देवताओं का वास होता है, अतः यहाँ दीपक जलाने के कुछ विशेष नियम होते हैं।
सही नियम:
सुबह और शाम: गोल बत्ती का दीपक जलाएं।
रात्रि 8:30 से 9:30 बजे के बीच: लंबी बत्ती का दीपक जलाना लाभकारी होता है।
दीपक को वृक्ष के ठीक नीचे न रखें, बल्कि थोड़ा किनारे रखें।
तेल या घी में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दीपक जलाने से विशेष फल प्राप्त होता है।
गलत नियम:
रात्रि 9:30 बजे के बाद दीपक जलाना निषिद्ध है।
पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।
(B) शमी वृक्ष के नीचे दीपक जलाने का नियम
शमी वृक्ष को भगवान शिव और शनि देव से जोड़ा जाता है। यहाँ दीपक जलाने से दोष और बाधाएँ दूर होती हैं।
सही नियम:
शमी वृक्ष के नीचे गोल बत्ती का दीपक जलाएं।
शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाना अधिक शुभ होता है।
गलत नियम:
शमी वृक्ष के नीचे लंबी बत्ती का दीपक जलाना अनुचित माना जाता है।
आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने का नियम
आंवले का वृक्ष माँ लक्ष्मी का निवास स्थान होता है। यहाँ दीपक जलाने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सही नियम:
आंवले के वृक्ष के नीचे लंबी बत्ती का दीपक जलाएं।
शुक्रवार के दिन दीपक जलाना विशेष लाभकारी होता है।
गलत नियम:
यहाँ गोल बत्ती का दीपक जलाने से कम लाभ होता है।
(D) तुलसी माता के पौधे के पास दीपक जलाने का नियम
तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिय हैं, इसलिए यहाँ गोल बत्ती का दीपक ही जलाना चाहिए।
सही नियम:
तुलसी के पौधे के पास गोल बत्ती का दीपक जलाएं।
दीपक को पूर्व दिशा में रखें।
गलत नियम:
तुलसी माता के पास लंबी बत्ती का दीपक जलाना अनुचित होता है।
4. दीपक जलाने से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
किसी भी पूजा में दीपक को हमेशा दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए।
दीपक जलाने के लिए तिल का तेल, घी, या सरसों का तेल सबसे उपयुक्त होता है।
घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन पीपल, तुलसी और आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से विशेष लाभ मिलता है।
संध्या के समय दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सूर्यदेव और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करता है।
हिन्दू धर्म में दीपक जलाने के इन नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। गोल बत्ती और लंबी बत्ती का सही प्रयोग करने से पूजा-अर्चना का अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
आप इन नियमों का पालन करके अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
ध्यान दें: यह जानकारी धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और आचार्यों के मतों पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार इन नियमों का पालन कर सकता है।
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दीपक किस धातु का होना चाहिए? – पीतल, तांबा, या चाँदी का दीपक शुभ होता है। पीतल का दीपक देवताओं को प्रिय होता है, जबकि चाँदी का दीपक लक्ष्मी कृपा के लिए उत्तम माना जाता है।
दीपक में कितनी बत्ती होनी चाहिए? – सामान्यतः एक बाती का दीपक शुभ होता है, लेकिन विशेष अनुष्ठानों में चार या पाँच बत्तियों का दीपक जलाने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
घर के मंदिर में कितने दीपक जलाने चाहिए? – एक दीपक भगवान की कृपा के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन दो दीपक जलाने से अधिक शुभ फल मिलते हैं। संध्या काल में कम से कम एक दीपक जलाना अनिवार्य माना जाता है।
दीपक में क्या डालकर जलाना चाहिए? – दीपक में शुद्ध घी, तिल का तेल, या सरसों का तेल डालना शुभ होता है। घी का दीपक देव कृपा के लिए और तेल का दीपक दोष निवारण के लिए जलाया जाता है।
दीपक की बाती कैसे बनाते हैं? – रूई को पतली या मोटी आकार में बेलकर दीपक की बाती बनाई जाती है। बाती को घी या तेल में भिगोकर उपयोग करने से यह देर तक जलती है।
घर के मंदिर में कौन सा दीपक जलाना चाहिए? – घर के मंदिर में तिल के तेल या घी का दीपक जलाना शुभ होता है। घी का दीपक लक्ष्मी कृपा के लिए और तिल के तेल का दीपक पितृ दोष निवारण के लिए उत्तम माना जाता है।
दीपक की बाती का पूरा जल जाना – यह शुभ संकेत माना जाता है, जिससे कार्य सिद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि बाती बीच में ही बुझ जाए, तो इसे बाधा या नकारात्मक ऊर्जा का संकेत माना जा सकता है।