Varuthini Ekadashi Vrat Katha :वरुथिनी एकादशी कथा श्रवण मात्र से होगा हर संकटनाश,जानिए कब है व्रत और शुभ मुहूर्त

Varuthini EkadashiVrat Katha : वरुथिनी एकादशी की 24 अप्रैल 2025 को है। धर्मानुसार यह दिन खास है। जानिए इसदिन की महिमा वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा से...न;

Update: 2025-04-19 17:06 GMT

Varuthini Ekadashi Vrat Katha : वरुथिनी एकादशी व्रत: तिथि, पारण समय और पूजा विधि वरुथिनी एकादशी हर वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। वरुथिनी एकादशी को सौभाग्य देने वाली और सभी पापों का नाश करने वाली तिथि माना गया है। यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है और उसके जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि लाता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा!

धर्मराज युधिष्ठिर बोले: हे भगवन्! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आपने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात कामदा एकादशी के बारे मे विस्तार पूर्वक बतलाया। अब आप कृपा करके वैशाख कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि एवं महात्म्य क्या है?

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे राजेश्वर! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है। इसकी महात्म्य कथा आपसे कहता हूँ..

प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करते थे। वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी थे। एक दिन जब वह जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी न जाने कहाँ से एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा। राजा पूर्ववत अपनी तपस्या में लीन रहे। कुछ देर बाद पैर चबाते-चबाते भालू राजा को घसीटकर पास के जंगल में ले गया।

राजा बहुत घबराया, मगर तापस धर्म अनुकूल उसने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की, करुण भाव से भगवान विष्णु को पुकारा। उसकी पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला।

राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल हुए। उन्हें दुःखी देखकर भगवान विष्णु बोले: हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे। इस भालू ने तुम्हें जो काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध था।

भगवान की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता ने मथुरा जाकर श्रद्धापूर्वक वरूथिनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा शीघ्र ही पुन: सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग गये थे।

जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है उसे वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होकर मोक्ष मिलता है।

वरुथिनी एकादशी 2025 की तिथि और समय

एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल 2025, शाम 4:43 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 24 अप्रैल 2025, दोपहर 2:32 बजे

व्रत तिथि (उदयातिथि के अनुसार): 24 अप्रैल 2025, बुधवार

वरुथिनी एकादशी पारण समय

पारण की तिथि: 25 अप्रैल 2025, गुरुवार

पारण का समय: सुबह 5:46 बजे से 8:23 बजे तक

द्वादशी समाप्ति: 25 अप्रैल को सुबह 11:44 बजे

वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के अनजाने में हुए पाप भी नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सौभाग्य, समृद्धि एवं संतोष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से मोक्ष की कामना करने वालों के लिए अत्यंत फलदायी है।

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