शिव के द्वार फिर खुलेंगे: 2 मई को प्रातः 7 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की घोषणा श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है कि केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को प्रातः ठीक 7 बजे भक्तों के दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ मंदिर का इतिहासकेदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। जो सबसे ऊंचाई पर है और कहा जाता है की केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है। यह मंदिर हिमालय की गोद में, मंदाकिनी नदी के तट पर 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, परंतु ऐसा माना जाता है कि इसका पुनर्निर्माण आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में कराया था।केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथामहाभारत युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही परिवार के सदस्यों की हत्या करने का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की खोज की। लेकिन भगवान शिव उनसे रुष्ट थे और उनसे बचने के लिए उन्होंने भैंस (बैल) का रूप धारण कर केदारनाथ में शरण ली।जब पांडवों ने भगवान शिव को खोज लिया, तो उन्होंने अपने शरीर के विभिन्न अंगों को अलग-अलग स्थानों पर प्रकट किया।* केदारनाथ में उनकी पीठ प्रकट हुई,* कल्पेश्वर में उनकी जटाएँ (बाल),* तुंगनाथ में उनकी भुजाएँ,* रुद्रनाथ में उनका मुख,* और मध्यमहेश्वर में उनकी नाभि प्रकट हुई।इन पाँच स्थानों को पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।केदारनाथ मंदिर की वास्तुकलाकेदारनाथ मंदिर कत्यूरी शैली में बना है, जो उत्तर भारत के मंदिरों की पारंपरिक शैली है। इस शैली में ऊँचे शिखरयुक्त संरचनाएँ होती हैं, जो मंदिर को काफी आकर्षक और सुंदर बनाती हैं।मंदिर का निर्माण कटे हुए विशाल ग्रे रंग के पत्थरों से किया गया है। ये पत्थर लगभग 6 फीट मोटे हैं, जो भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को सहन करने में सक्षम हैं। कहा जाता है कि इन पत्थरों को सैकड़ों किलोमीटर दूर से लाकर यहाँ जोड़ा गया था।केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह लिंग अन्य शिवलिंगों की तरह गोल न होकर त्रिकोणीय आकार का है।केदारनाथ मंदिर का रहस्य क्या हैकेदारनाथ मंदिर बड़े-बड़े पत्थरों से बना हुआ है और इसे बिना किसी गारे या सीमेंट के जोड़ा गया है।2013 की भीषण बाढ़ में पूरा क्षेत्र तबाह हो गया था, लेकिन एक विशाल शिला (जिसे 'भीम शिला' कहा जाता है) मंदिर के पीछे आकर रुक गई, जिससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।यह पंच केदार मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण है। पंच केदार के अन्य मंदिर हैं—तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर।केदारनाथ कब खुलता है और कब बंद होता हैअत्यधिक ठंड और बर्फबारी के कारण मंदिर अक्टूबर/नवंबर से अप्रैल/मई तक बंद रहता है। इस दौरान भगवान की मूर्ति को उखीमठ ले जाया जाता है, जहाँ उनकी पूजा जारी रहती है।केदारनाथ धाम तक कैसे पहुंचेकेदारनाथ धाम तक पहुंचाने के लिए अनेकों रास्ते हैं इसके माध्यम से आप केदारनाथ तक पहुंच सकते हैं जिसमें1.हेलीकॉप्टर सेवा: आसान और तेजी से केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए आप हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग कर सकते हैं. हरिद्वार, देहरादून और गुप्तकाशी जैसे नजदीकी शहरों से उड़ानें उपलब्ध है।2.पैदल यात्रा: केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा एक धार्मिक और अनुभव भरी यात्रा होती है। आप गौरीकुंड या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू कर सकते हैं और पर्वतीय रास्ते से धाम पहुंच सकते हैं। यह यात्रा लगभग 14 किलोमीटर गौरीकुंड से और 21 किलोमीटर सोनप्रयाग से है।3.राजमार्ग सेवा: यात्रियों के लिए राजमार्ग सेवा भी उपलब्ध है, जिसमें बसें और टैक्सियां केदारनाथ धाम तक जाती हैं. राजमार्ग सेवा के लिए गुप्तकाशी से या रुद्रप्रयाग से यात्रा करनी पड़ती है।केदारनाथ में घूमने की जगह1.केदारनाथ मंदिर: केदारनाथ धाम का मुख्य आकर्षण है। यह मंदिर प्राचीनतम और पवित्रतम मंदिरों में से एक है और हिंदू धर्म के पांच धामों में से एक है।2.चोपता: यह झरना आस-पास एक प्राकृतिक आकर्षण है, जहां यात्री शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आनंद ले सकते हैं।3.भैरवनाथ मंदिर: यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और भगवान भैरव को समर्पित है।4.वासुकी तालाब: यह ताल केदारनाथ मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां यात्री अपने रास्ते की सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।
शिव के द्वार फिर खुलेंगे: 2 मई को प्रातः 7 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की घोषणा श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है कि केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को प्रातः ठीक 7 बजे भक्तों के दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ मंदिर का इतिहासकेदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। जो सबसे ऊंचाई पर है और कहा जाता है की केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है। यह मंदिर हिमालय की गोद में, मंदाकिनी नदी के तट पर 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, परंतु ऐसा माना जाता है कि इसका पुनर्निर्माण आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में कराया था।केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथामहाभारत युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही परिवार के सदस्यों की हत्या करने का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की खोज की। लेकिन भगवान शिव उनसे रुष्ट थे और उनसे बचने के लिए उन्होंने भैंस (बैल) का रूप धारण कर केदारनाथ में शरण ली।जब पांडवों ने भगवान शिव को खोज लिया, तो उन्होंने अपने शरीर के विभिन्न अंगों को अलग-अलग स्थानों पर प्रकट किया।* केदारनाथ में उनकी पीठ प्रकट हुई,* कल्पेश्वर में उनकी जटाएँ (बाल),* तुंगनाथ में उनकी भुजाएँ,* रुद्रनाथ में उनका मुख,* और मध्यमहेश्वर में उनकी नाभि प्रकट हुई।इन पाँच स्थानों को पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।केदारनाथ मंदिर की वास्तुकलाकेदारनाथ मंदिर कत्यूरी शैली में बना है, जो उत्तर भारत के मंदिरों की पारंपरिक शैली है। इस शैली में ऊँचे शिखरयुक्त संरचनाएँ होती हैं, जो मंदिर को काफी आकर्षक और सुंदर बनाती हैं।मंदिर का निर्माण कटे हुए विशाल ग्रे रंग के पत्थरों से किया गया है। ये पत्थर लगभग 6 फीट मोटे हैं, जो भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को सहन करने में सक्षम हैं। कहा जाता है कि इन पत्थरों को सैकड़ों किलोमीटर दूर से लाकर यहाँ जोड़ा गया था।केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह लिंग अन्य शिवलिंगों की तरह गोल न होकर त्रिकोणीय आकार का है।केदारनाथ मंदिर का रहस्य क्या हैकेदारनाथ मंदिर बड़े-बड़े पत्थरों से बना हुआ है और इसे बिना किसी गारे या सीमेंट के जोड़ा गया है।2013 की भीषण बाढ़ में पूरा क्षेत्र तबाह हो गया था, लेकिन एक विशाल शिला (जिसे 'भीम शिला' कहा जाता है) मंदिर के पीछे आकर रुक गई, जिससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।यह पंच केदार मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण है। पंच केदार के अन्य मंदिर हैं—तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर।केदारनाथ कब खुलता है और कब बंद होता हैअत्यधिक ठंड और बर्फबारी के कारण मंदिर अक्टूबर/नवंबर से अप्रैल/मई तक बंद रहता है। इस दौरान भगवान की मूर्ति को उखीमठ ले जाया जाता है, जहाँ उनकी पूजा जारी रहती है।केदारनाथ धाम तक कैसे पहुंचेकेदारनाथ धाम तक पहुंचाने के लिए अनेकों रास्ते हैं इसके माध्यम से आप केदारनाथ तक पहुंच सकते हैं जिसमें1.हेलीकॉप्टर सेवा: आसान और तेजी से केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए आप हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग कर सकते हैं. हरिद्वार, देहरादून और गुप्तकाशी जैसे नजदीकी शहरों से उड़ानें उपलब्ध है।2.पैदल यात्रा: केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा एक धार्मिक और अनुभव भरी यात्रा होती है। आप गौरीकुंड या सोनप्रयाग से यात्रा शुरू कर सकते हैं और पर्वतीय रास्ते से धाम पहुंच सकते हैं। यह यात्रा लगभग 14 किलोमीटर गौरीकुंड से और 21 किलोमीटर सोनप्रयाग से है।3.राजमार्ग सेवा: यात्रियों के लिए राजमार्ग सेवा भी उपलब्ध है, जिसमें बसें और टैक्सियां केदारनाथ धाम तक जाती हैं. राजमार्ग सेवा के लिए गुप्तकाशी से या रुद्रप्रयाग से यात्रा करनी पड़ती है।केदारनाथ में घूमने की जगह1.केदारनाथ मंदिर: केदारनाथ धाम का मुख्य आकर्षण है। यह मंदिर प्राचीनतम और पवित्रतम मंदिरों में से एक है और हिंदू धर्म के पांच धामों में से एक है।2.चोपता: यह झरना आस-पास एक प्राकृतिक आकर्षण है, जहां यात्री शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आनंद ले सकते हैं।3.भैरवनाथ मंदिर: यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और भगवान भैरव को समर्पित है।4.वासुकी तालाब: यह ताल केदारनाथ मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां यात्री अपने रास्ते की सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।